22 March 2015

दिल तोड़ गई मोदी के ‘मन की बात’


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों से आज ‘मन की बात’ की। उन्होंने बेमौसम बारिश में चौपट हुई फसलों से बर्बादी के कगार पर खड़े किसानों को आश्वासनों की घुट्टी पिलाई। मोदी ने कहा कि इस संकट की घड़ी में सरकार किसानों के साथ है और सरकार संवेदना के साथ उनकी मदद करेगी। फसल तबाह होने के इतने दिन बाद मोदी की ओर से महज आश्वासन दिया जाना चुस्त-दुरुस्त ढंग से सरकार चलाने वाले प्रशासक की उनकी छवि (प्रोजेक्टेड) को सवालों के घेरे में लाने वाला है। बेमौसम बारिश में फसलों का तबाह होना एक प्राकृतिक आपदा है और प्राकृतिक आपदा में तत्काल तेजी से कदम उठाए जाते हैं। ऐसे में होना तो यह चाहिए था कि संवेदना जताने और साथ खड़े होने का आश्वासन देने के बजाय मोदी किसानों को ठोस रूप से बताते कि ‘गुड गवर्नेंस’ का दंभ भरने वाली उनकी सरकार ने अब तक इस दिशा में क्या-क्या कदम उठाए हैं। पर ऐसा न करके वह महज किसानों को भरमाते नजर आए। जिस समय मोदी मन की बात में किसानों के दर्द को महसूस करने की बात कह रहे थे। ठीक उसी समय उत्तर प्रदेश में दो किसानों ने खुद को आग लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त करने की कोशिश की। बांदा जिले के यह दोनों किसान चचेरे भाई हैं। दोनों ने अपने खेत की सिंचाई के लिए कर्ज लिया था। फसल भी अच्छी हुई, लेकन बिन मौसम बरसात ने दोनों की फसल को बर्बाद कर दिया। सियासत के दस्तूर में भाजपा और मोदी इसका ठीकरा प्रदेश की सपा सरकार पर फोड़ सकते हैं, पर किसान तो एमपी, राजस्‍थान, महाराष्ट्र और हरियाणा में भी इसी तरह परेशान हैं, जहां भाजपा की सरकार है। वहां की सरकारों ने किसानों के लिए क्या कर दिया भला? मोदी ने किसानों से कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। मोदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण बिल पर विरोध किसानों को गरीब रखने की साजिश है। हमने एक अथॉरिटी बनाई है जो जिले के किसानों की समस्याओं का समाधान जिले में ही करेगी। वहां अगर संतोष नहीं होता, तो कोर्ट जा सकते हैं। इसमें कौन सा नया या बड़ा काम कर दिया उन्होंने पहले भी इन मामलों का निपटारा स्‍थानीय स्तर पर जिला प्रशासन द्वारा किया जाता था और इसके खिलाफ कोर्ट जाने का अधिकार किसानों को पहले भी था। मोदी ने भला इसमें किसानों को क्या सौगात दे दी, कोर्ट में मामला दाखिल करने का तो हर किसी को कानूनी हक है। अब इसका श्रेय भी मोदी अपनी झोली में डाल रहे हैं, तो यह हास्यास्पद ही है। उन्होंने कहा कि सड़क के बगल में सरकार इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनाती है, कॉरिडोर के नजदीक में जितने गांव आएंगे उनको वहां कोई न कोई, वहां रोजी रोटी का अवसर मिल जाएगा, उनके बच्चों को रोजगार मिल जाएगा। यह बात भी कोई नई नहीं है। किसी भी परियोजना में विस्‍थापितों के परिवार और स्‍थानीय लोगों को एक निश्चित अनुपात में रोजगार देने की बात पर ही आमतौर पर भूमि अधिग्रहण का करार होता है। ऐसे में मोदी की बातें किसानों का दर्द समझने वाली कम और उन्हें मुगालते में रखने वाली ज्यादा लगती हैं। उधर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने भी मोदी पर निशाना साधा है कि मोदी को मन की नहीं, काम की बात करनी चाहिए। रेडियो पर हवाई बातें करने से किसानों का भला नहीं होगा।

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